चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में आश्विन मास की सर्व पितृ अमावस्या तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है। दरअसल ये 15 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है। इस साल पितृमोक्ष अमावस्या 17 सितंबर को है। इस दौरान ग्रह नक्षत्रों का विशेष संयोग बन रहा है।
पंडितों के मुताबिक, पितृपक्ष में ऐसा शुभ संयोग 20 साल बाद बन रहा है। कहा जा रहा है कि इस साल अमावस्या तिथि पर जल तर्पण से पितृ न सिर्फ तृप्त होंगे अपितु उनके आशीर्वाद से सफलता और समृद्धि के द्वार भी खुलेंगे। इतना ही नहीं बल्कि यह संयोग सौ बाधाओं से मुक्ति दिलाने वाला भी है। आइए जानते हैं सर्व पितृ अमावस्या का महत्व और खास बातें।
सर्व पितृ अमावस्या का महत्व
अमावस्या के दिन धरती पर आए हुए पितरों को याद करके उनकी विदाई की जाती है। मान्यता है कि अगर आपने पूरे पितृ पक्ष में अपने पितरों की पूजा न की हो तो सिर्फ अमावस्या को ही उन्हें याद करके दान करने से और निर्धनों को भोजन कराने से पितरों को शांति मिलती है। आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म को महत्वपूर्ण माना गया है। अमावस्या के दिन यदि आप दान करें तो शुभ फल प्राप्त होता है। साथ ही इस दिन राहु से संबंधित तमाम बाधाओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है।
सर्व पितृ अमावस्या की प्रमुख बातें
- किसी परिजन की मृत्युतिथि पता न हो तो इस दिन उनकी शांति के लिए श्राद्ध करना चाहिए।
- इस दिन जरूरतमंदों अथवा गुणी ब्राह्मणों को भोजन कराएं। भोजन में मृतात्मा की कम से कम एक पसंद की वस्तु अवश्य बनाएं।
- अमावस्या को श्राद्ध करने के पीछे मान्यता है कि इस दिन पितरों के नाम की धूप देने से मानसिक व शारीरिक तौर पर तो संतुष्टि या शांति प्राप्त होती है।
- इस दिन आप तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, गुड़, चांदी, पैसा, नमक, फल का दान कर सकते हैं।
- इस दिन धरती पर आए सभी पितरों की विधिवत विदाई की जाती है और उनकी शांति के उपाय किए जाते हैं।