चैतन्य भारत न्यूज
सावन के पहले सोमवार को भगवान शिव के मंदिरों में बड़ी ही श्रद्धा भावना से पूजा की गई। हिन्दू धर्म में सोमवार को विशेष महत्व दिया गया है। साथ ही मंगलवार को भी महत्वपूर्ण माना गया है। सावन में मंगलवार को मां पार्वती की पूजा की जाती है और इस दिन व्रत भी रखा जाता है।
मान्यता है कि, सावन के मंगलवार को मां पार्वती की पूजा करने से मंगल ही मंगल होता है और जीवन की तमाम बाधाएं दूर होती हैं। इस व्रत को विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। इस दिन सुहागिन स्त्रियों को मां गौरी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वह अखंड सौभाग्यवती होती हैं। आइए जानते है मंगला गौरी के व्रत की पूजा-विधि और नियम।
मंगला गौरी व्रत की पूजा-विधि
- मंगलवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करना चाहिए।
- इसके बाद पूजा घर में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और अब इसमें मां गौरी की प्रतिमा स्थापित करें।
- पूजा में मां गौरी को पुष्प, माला, भोग और सुहाग की सामग्री अर्पित करें।
- पूजा के दौरान मां पार्वती का ध्यान करें। इससे दांपत्य जीवन के कष्ट दूर होंगे।
- व्रत संपन्न होने के बाद सात्विक आहार से अपना व्रत तोड़ें।