चैतन्य भारत न्यूज
03 अगस्त यानी आज सावन का अंतिम सोमवार है। मान्यता है कि सावन के अंतिम सोमवार को शिव-पार्वती साथ-साथ पृथ्वी पर विचरण करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन रुद्राभिषेक करने से सारे मनोरथ सफल होंगे।
आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा-विधि।
सावन सोमवार का महत्व
शास्त्रों के मुताबिक, जो भी भक्त सावन के महीने में पड़ने वाले सोमवार की पूजा सच्चे मन से करते हैं, भगवान शिव उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। कहा जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव अधिक प्रसन्न रहते हैं। इस महीने में शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों को सुख, शांति और समृद्घि की प्राप्ति होती है। सावन में भगवान शिव की भक्तों पर खास कृपा होती है।
सावन सोमवार व्रत की पूजा-विधि
- सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करने के बाद शिव मंदिर जाएं।
- शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, सफेद फूल, धूप, सफेद चंदन आदि अर्पित करें।
- पूजा के दौरान शिव चालिसा का पाठ करें।
- इस दिन व्रत का संकल्प करके केवल फलाहार करना चाहिए।
- अंतिम सोमवार के दिन शिवलिंग को शुद्धजल, गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें।
- मान्यता है कि भगवान शिव के पास धूप-दीप जलाकर शिव मंत्रों का जप करने से समस्त बाधाओं का नाश होता है।