चैतन्य भारत न्यूज
कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते मार्च से ही स्कूल बंद कर दिए गए हैं। अब तक इस बात की कोई जानकारी नहीं मिली है कि स्कूल कब से खुलेंगे और नया सिलेबस कब से शुरू होगा। ऐसे में लगभग सभी स्कूलों ने ऑनलाइन क्लासेज के जरिए बच्चों को नया पढ़ाना शुरू कर दिया है। इस चक्कर में बच्चों को चार से पांच घंटे मोबाइल लेकर बैठना पड़ता है। वैसे तो कहा जाता है कि बच्चों को मोबाइल से दूर रखें लेकिन अभी बच्चे को पढ़ाई के लिए ही मोबाइल इस्तेमाल करना पड़ रहा है। उसके बाद वो टीवी भी देखते हैं तो ऐसे में उनका स्क्रीन टाइम बढ़ गया है। इसका बच्चे की सेहत पर भी असर हो सकता है।
बढ़ गया बच्चों का स्क्रीन टाइम
घर में भी बच्चों का स्कूल की ही तरह टाइमटेबल बन गया है। बच्चों की कक्षाएं सुबह 8:30 – 9:00 बजे से शुरू हो जाती हैं और चार से पांच घंटे चलती हैं। हर विषय की क्लासेस काम से काम 40 से 45 मिनट चलती है। हर कक्षा के बाद बच्चों को 15 मिनट का ब्रेक दिया जाता है। बच्चे ये क्लासेस मोबाइल या लैपटॉप पर वीडियो कॉल के जरिए ले रहे हैं जिससे उन्हें एक लंबे समय तक स्क्रीन देखनी पड़ती है और उनका स्क्रीन टाइम बढ़ जाता है।
क्या होता है स्क्रीन टाइम
स्क्रीन टाइम का मतलब होता है कि बच्चा 24 घंटों में कितने घंटे मोबाइल, टीवी, लैपटॉप और टैबलेट जैसे गैजेट के इस्तेमाल में बिताता है। लंबे समय तक बच्चों के मोबाइल या लैपटॉप के संपर्क में रहने से मानसिक और शारीरिक तौर पर असर हो सकता है।
बच्चों के स्क्रीन टाइम के संबंध में कुछ दिशानिर्देश
- 18 महीने से कम उम्र के बच्चे स्क्रीन का इस्तेमाल ना करें।
- 18 से 24 महीने के बच्चे को माता-पिता उच्च गुणवत्ता वाले प्रोग्राम ही दिखाएं।
- 2 से 5 साल के बच्चे एक घंटे से ज्यादा स्क्रीन का इस्तेमाल ना करें।
- छह साल और उससे ज्यादा उम्र के बच्चों के स्क्रीन देखने का समय सीमित हो।
- बच्चे किस गैजेट पर और क्या देख रहे हैं, इस पर माता-पिता ध्यान दें।
- ये सुनिश्चित करें कि टीवी, मोबाइल या लैपटॉप पर इतना समय ना बिताए कि बच्चे के पास सोने, फिजिकल एक्टिविटी और अन्य जरूरी कामों के लिए समय कम पड़ जाए।
स्क्रीन टाइम पर लगाए लगाम
पांच साल से कम उम्र के बच्चे स्क्रीन पर अधिक समय गुजारते हैं तो उनके एक्टिविटी लेवल कम हो जाता है व कई रोग की आशंका होती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, स्क्रीन टाइम के अधिक होने से बच्चों में एंजाइटी (बार-बार घबराए दिल) ,एडीएचडी (ध्यान कमी) केंद्रित करने में समस्या आदि देखी जा सकती है। इसलिए बेहतर होगा कि, घर में टीवी देखने का समय सुनिश्चित हो, खाने के समय टीवी बिलकुल नहीं चलाएं। साथ ही बच्चों को इसके नुकसान के बारे में बताएं।