चैतन्य भारत न्यूज
शनिवार का दिन देवता शनि को समर्पित है। इस दिन शनिदेव की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है। मान्यता है कि, शनि की पूजा से कुंडली के दोष दूर हो जाते हैं और उनकी कृपा बरसती है।
कहा जाता है कि, शनि देव अगर प्रसन्न हो जाए तो रंक को भी राजा बना देते हैं, वहीं अगर वह नाराज हो जाए तो राजा को भिखारी भी बना देते हैं। शनि देवता को न्याय का देवता भी कहा जाता है। वह व्यक्ति को उसके बुरे और अच्छे कर्मों का फल जरूर देते हैं। आइए जानते हैं शनिदेव की पूजा-विधि।
इस विधि से करें शनि देव की पूजा
- शनिवार को सबसे पहले पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- इसके बाद पीपल की परिक्रमा करें। परिक्रमा के बाद शनिदेव के तांत्रिक मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
- शनिदेव को तेल के साथ ही तिल, काली उदड़ या कोई काली वस्तु भी भेंट करें।
- शनिदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:’।
- शनिवार के दिन सरसों का तेल गरीब को दान करें।
- शनि पूजा के बाद हनुमान जी की पूजा करें। उनकी मूर्ति परसिंदूर लगाएं और केला अर्पित करें।
तांत्रिक शनि मंत्र
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।