चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का काफी महत्व है। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है, साथ ही भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस बार शनि प्रदोष व्रत 21 मार्च को पड़ रहा है। आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत का महत्व और पूजन-विधि।
शनि प्रदोष व्रत का महत्व
भगवान शिव की उपासना करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। शनिवार के दिन आने से इसे शनि प्रदोष कहा गया है। ये भी माना जाता है कि इस दिन जो भी भक्त ये व्रत करता है उसे किसी ब्राह्मण को गोदान (गाय का दान) करने के समान पुण्य लाभ होता है। संतान प्राप्ति की कामना के लिए भी शनि प्रदोष व्रत विशेष रूप से सौभाग्यशाली माना जाता है। साथ ही दांपत्य जीवन की सुख-शांति के लिए किया जाता है।
शनि प्रदोष व्रत पूजा-विधि
- शनिवार के दिन व्रत करने वाले को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहाना चाहिए।
- इसके बाद श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान शिव की पूजा और ध्यान करते हुए व्रत शुरू किया जाता है।
- प्रदोष व्रत में शिवजी और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
- इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत रखना होता है।
- इस दिन प्रात: काल स्नान करके भगवान शिव की बेलपत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप सहित पूजा करें।
- इसके बाद संध्या काल में फिर से स्नान करके सफेद कपड़े पहनकर इसी प्रकार से शिवजी की पूजा करनी चाहिए।