चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में शनिवार का दिन शनि देवता को समर्पित है। शनिदेव हिंदू पुराणों में अपने क्रोध के लिए विख्यात हैं। मान्यता है कि जिस पर वे कुपित हो जाते हैं, उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं। यही वजह है कि भक्ति से अधिक भय के कारण सारा संसार शनिदेव को पूजता है। आइए जानते हैं शनिवार व्रत का महत्व और पूजा-विधि।
शनिवार व्रत का महत्व
जीवन में ग्रहों का प्रभाव बहुत प्रबल माना जाता है और उस पर भी शनि ग्रह अशांत हो जाएं तो जीवन में कष्टों का आगमन शुरू हो जाता है। इसलिए शनि दोष से पीड़ित व्यक्तियों को शनिवार के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उनका पूजन और व्रत रखना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से शनि महाराज प्रसन्न हो जाते हैं। ये भी माना जाता है कि जिन्हें कोई भी शारीरिक विकार हो, वे लोग अगर पूरे मन से शनि की पूजा करें तो सारे शारीरिक कष्ट दूर हो जाते हैं। ग्रहों के कष्ट दूर करने में भी शनि का महत्व है, इससे ग्रह दोष दूर हो जाते हैं।
शनिवार व्रत पूजा-विधि
- शनिवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में नहाकर और स्वच्छ कपड़े धारण कर पीपल के वृक्ष पर जल अर्पण करें।
- पूजन के बाद पीपल के वृक्ष के तने पर सूत के धागे से सात परिक्रमा करें।
- इसके बाद शनि देवता की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं।
- शनिदेव की पूजा करते समय उनके दस नाम का ध्यान करें- कोणास्थ, पिंगलो, बभु, कृष्णों, रौद्रोंतको, यम, सौरि, शनैश्चर, मन्द, पिप्पला।
- इसके बाद शनिदेव का मंत्र पढ़ते हुए प्रार्थना करें।
मंत्र
शनैश्चर नमस्तुभ्यं नमस्ते त्वथ राहवे।
केतवेअथ नमस्तुभ्यं सर्वशांतिप्रदो भव॥