चैतन्य भारत न्यूज
वैसे तो हर माह की पूर्णिमा का अपना महत्व होता है लेकिन ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को और भी अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। धार्मिक तौर पर इस दिन स्नान दान का काफी महत्व होता है। इस पूर्णिमा पर स्नान, दान और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान कर के दान करने से पापों का नाश होता है। इस बार स्नान पूर्णिमा 05 जून को है। आइए जानते हैं स्नान पूर्णिमा का महत्व और पूजन-विधि।
स्नान पूर्णिमा का महत्व
जिस तरह कार्तिक, माघ, वैशाख की पूर्णिमा का विशेष महत्व गंगा स्नान करने से होता है। उसी प्रकार इस दिन स्नान करना अति शुभ एवं उत्तम माना गया है। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा और कथा करने से भी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पूर्णिमा पर गीता पाठ करने का भी महत्व है। इस दिन गीता पाठ करने से पितरों को तृप्ति प्राप्त होती है। स्नान पूर्णिमा पर दान का फल अन्य पूर्णिमा व दिनों की तुलना में 32 गुना अधिक प्राप्त होता है।
स्नान पूर्णिमा की पूजा-विधि
- पूर्णिमा पर सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं अगर संभव हो तो किसी तीर्थ पर जाकर नहाएं।
- सुबह व्रत का संकल्प लेकर दिनभर व्रत रखें।
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की पूजा व कथा की जाती है।
- पूजा स्थान पर भगवान को फूल, अर्पन, फल आदि चढ़ा कर पूजा करें।
- इस दिन चंद्रमा की उपासना जरूर करना चाहिए।
- इस दिन जरुरतमंद व्यक्ति और ब्राह्मण को भोजन कराए। इसके बाद दान-दक्षिणा देकर अपना व्रत खोलें।