चैतन्य भारत न्यूज
महाबलिपुरम. तमिलनाडु के प्राचीन शहर महाबलिपुरम में शुक्रवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात हुईं। इस दौरान पीएम मोदी ने जिनपिंग को महाबलिपुरम के कई दर्शनीय स्थल दिखाए। साथ ही मोदी ने जिनपिंग को यहां के शोर मंदिर के पास स्थित कृष्णा बटर बॉल पत्थर भी दिखाया।
यह गोल पत्थर दिखने में ऐसा लगता है कि यह कभी भी लुढ़क जाएगा, लेकिन पिछले 1300 सालों से यह ऐसा का ऐसा ही रखा है। दोनों नेताओं ने इस पत्थर के सामने फोटो भी खिंचवाएं। जिनपिंग और मोदी की यह तस्वीर सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी से वायरल हो रही है। आइए जानते हैं इस पत्थर के इतिहास के बारे में।
#WATCH PM Narendra Modi with Chinese President Xi Jinping visit the Krishna’s Butter Ball, Mahabalipuram #TamilNadu pic.twitter.com/TMgWuChdd1
— ANI (@ANI) October 11, 2019
1300 साल से ऐसे ही टिका हुआ है पत्थर
यह पत्थर एक ढलान वाली पहाड़ी पर 45 डिग्री के कोण पर बिना लुढ़के टिका है। कहा जाता है कि इसका वजन 250 टन है। कई बार इसके खतरनाक स्तर पर आगे की तरफ से झुके होने की वजह से इसे यहां से हटाने की कोशिश की गई लेकिन किसी को इसमें कामयाबी नहीं मिली। ये विशालकाय पत्थर खतरनाक रूप से आगे की तरफ झुका है।
ऐसा लगता है कि ये पत्थर थोड़ी सी हलचल से कभी भी आगे की तरफ लुढ़क सकता है। लेकिन कहा जाता है कि पिछले 1300 साल से ये पत्थर यहां ऐसे ही पड़ा है। लोगों के लिए ये हैरानी का सबब है कि इतना वजनी पत्थर इतने छोटे से कोने पर टिका कैसे है। इसी को देखने यहां दूर-दूर से लोग आते हैं। महाबलिपुरम के ये मुख्य दर्शनीय स्थलों मे से एक है। यहां के लोग इसे कृष्णा बटर बॉल या वानिराई काल कहते हैं। इसके अलावा इसे स्टोन ऑफ गॉड भी कहते हैं।
कैसे पड़ा ‘कृष्णा बटर बॉल’ नाम
स्थानीय हिंदू लोग मानते हैं कि ये भगवान कृष्ण के चुराए गए माखन का पहाड़ है। भगवान कृष्ण अपनी मां के मटके से माखन चुरा लेते थे। ये उसी माखन का ढेर है, जो सूख चुका है। कुछ लोग इसे स्वर्ग से गिरा पत्थर भी मानते हैं। लोगों का मानना हैं कि स्वर्ग का पत्थर होने की वजह से ही ये इस खतरनाक तरीके टिके होने के बावजूद नहीं लुढ़क रहा है।
कहा जाता है कि महाबलिपुरम को बसाने वाले पल्लव वंश के नरसिंह देव बर्मन ने इस पत्थर को यहां से हटवाने की कोशिश की लेकिन वो नाकाम रहे। इसके बाद अंग्रेजी शासन में भी इस पत्थर को यहां से हटाने की कोशिश की गई लेकिन वे भी नाकाम रहें।
7 हाथी मिलकर भी नहीं हटा पाएं पत्थर
1908 में मद्रास के गवर्नर आर्थर लावले ने इस पत्थर को यहां से हटवाने की कोशिश की। कहा जाता है कि इस पत्थर को हटाने के लिए 7 हाथी लगाए गए लेकिन वो पत्थर को टस से मस नहीं कर पाए। इसके बाद से ही ये पत्थर इलाके में मशहूर हो गया और इस देखने के लिए लोग दूर-दूर से आने लगे। लेकिन अभी तक पता नही चल सका कि ये विशालकाय पत्थर टिका कैसे हैं।