चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल-370 (Article 370) हटाए जाने के बाद से इंटरनेट पर पाबंदी और धारा 144 लागू को लेकर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि, ‘बिना वजह के पूरी तरह इंटरनेट पर रोक नहीं लगाई जा सकती है।’
बता दें कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद समेत कई लोगों ने जम्मू-कश्मीर में लगी पाबंदियों के खिलाफ याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी सुनवाई करते हुए कहा कि, ‘कश्मीर में हमारी प्राथमिकता लोगों को स्वतंत्रता और सुरक्षा देना है। कश्मीर में अभिव्यक्ति की आजादी सबसे अहम है। लंबे वक्त तक इंटरनेट पर पाबंदी नहीं लगाया जा सकता। पाबंदियों की कोई पुख्ता वजह का होना जरूरी है। इंटरनेट लोगों की अभिव्यक्ति का अधिकार है। यह आर्टिकल 19 के तहत आता है।’
Advocate Sadan Farasat: The Court said that indefinite internet ban by the State is not permissible under our Constitution and it is an abuse of power. https://t.co/MqFvuZeKAO pic.twitter.com/3cV2YoqQSl
— ANI (@ANI) January 10, 2020
इसके अलावा कोर्ट ने ये भी कहा है कि, ‘बहुत जरूरी होने पर तय समय के लिए ही इंटरनेट बंद किए जाने चाहिए। अनिश्चितकाल के लिए इंटरनेट को बंद नहीं किया जा सकता है। सभी जरूरी सेवाओं के लिए तत्काल प्रभाव से इंटरनेट शुरू किया जाए।’
जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई की तीन सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान धारा 144 पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, ‘लगातार धारा-144 का गलत इस्तेमाल किया गया। देश में कहीं भी लगातार धारा 144 को लागू रखना सरकार द्वारा शक्ति का दुरुपयोग है।’ साथ ही कोर्ट ने पाबंदी से संबंधित सभी फैसलों को सार्वजनिक करने को कहा है।
जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को एक हफ्ते के भीतर इन सभी पाबंदियों की समीक्षा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि, ‘जहां इंटरनेट का दुरुपयोग कम है वहां सरकारी और स्थानीय निकाय में इंटरनेट की सेवा शुरू की जाए।’ साथ ही कोर्ट ने सरकार को ई-बैंकिंग सेवाएं और शुरू करने को कहा है।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के आर्टिकल-370 के अधिकांश प्रावधान खत्म करने के बाद वहां लगाए गए प्रतिबंधों को सही ठहराया था। सरकार ने कोर्ट में कहा था कि, ‘सरकार के एहतियाती उपायों की वजह से ही राज्य में किसी व्यक्ति की न तो जान गई और न ही एक भी गोली चलानी पड़ी।’ इसके बाद गुलाम नबी आजाद, कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन और कई अन्य लोगों ने कश्मीर में संचार व्यवस्था ठप होने सहित अनेक प्रतिबंधों को चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर की थीं।