चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म-ग्रंथों में सूर्य सप्तमी का विशेष महत्व माना जाता है। सूर्य सप्तमी मार्गशीर्ष माह के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन अगर कोई भक्त पूरे मन से सूर्य देव की उपासना करे तो उसके सभी प्रकार के पाप कर्मों और दुखों का नाश होता है। इस साल सूर्य सप्तमी 3 दिसंबर को पड़ रही है। आइए जानते हैं सूर्य सप्तमी का महत्व और इसकी पूजन-विधि।
सूर्य सप्तमी का महत्व
शास्त्रों के मुताबिक, सूर्य देव उर्जा के सबसे बड़े स्त्रोत माने जाते हैं, इनकी पूजा अर्चना से सौभाग्य मिलता हैं। सप्तमी के दिन सूर्य को अर्ध्य देने का महत्व अधिक होता हैं। मानव जाति के अस्तित्व के लिए सूर्य का बहुत बड़ा योगदान हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन अगर कोई भक्त पूरे मन से सूर्य देव की उपासना करे तो उसके सभी प्रकार के पापों नाश होता है। ऐसी भी मान्यता है कि सूर्य देव को अर्घ्य देने से याददाश्त अच्छी होती है और मन शांत होता है।
सूर्य सप्तमी की पूजन-विधि
- सूर्य सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठें।
- स्नान के बाद उगते हुए सूर्य की आराधना करनी चाहिए।
- इसके बाद शुद्घ घी से दीपक जलाना चाहिए।
- इसके बाद कपूर, धूप, लाल फूल आदि से भगवान सूर्य का पूजन करें।
- पूजा के दौरान सूर्य मंत्र “ॐ सूर्याय नमः” का जाप 108 बार करना चाहिए।
- आज के दिन दान के रूप में वस्त्र, भोजन और दूसरी उपयोगी वस्तुएं जरूरतमंद व्यक्तियों को दे सकते हैं।