चैतन्य भारत न्यूज
उन्नाव. उन्नाव रेप पीड़िता की शुक्रवार को दिल्ली के सफदजंग अस्पताल में मौत हो गई। रेप पीड़िता को आरोपितों ने गुरुवार को जलाकर मारने की कोशिश की थी, जिसके बाद उसे गंभीर हालत में उन्नाव से दिल्ली लाया गया था। हैदराबाद और उन्नाव समेत इस साल महिलाओं के खिलाफ अपराध की कई वारदातें सामने आई हैं, जिससे जिले में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश का उन्नाव जिला प्रदेश के ‘रेप कैपिटल’ के रूप में उभरकर सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक, उन्नाव में जनवरी से नवंबर तक जिले में 86 रेप की घटनाएं हो चुकी हैं। महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के 185 मामले सामने आए हैं। प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 63 किलोमीटर दूर और कानपुर से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित उन्नाव की जनसंख्या 31 लाख है। उन्नाव के असोहा, अजगैन, माखी और बांगरमऊ में दुष्कर्म और छेड़खानी के मामले दर्ज किए गए हैं।
लोग पुलिस को देते हैं दोष
स्थानीय लोग राज्य में हो रहे इन मामलों के लिए पुलिस को दोष देते हैं। अजगैन के निवासी का कहना है कि, ‘उन्नाव की पुलिस पूरी तरह से नेताओं के अनुसार काम करती है। जब तक उन्हें अपने आकाओं से इजाजत नहीं मिलती वे एक इंच तक नहीं हिलते हैं। इस रवैये से अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं।’
राजनीति से अपराध को मिलता है बढ़ावा
जबकि एक स्थानीय वकील का कहना है कि, ‘यहां राजनीति से अपराध को बढ़ावा मिलता है। नेता अपराध का इस्तेमाल राजनीति में कर रहे हैं और पुलिस उनकी हितैषी (हित या भला चाहने वाला) बनी हुई है। यहां तक कि जब किसानों ने हाल ही में एक नई टाउनशिप के लिए भूमि अधिग्रहण पर हिंसा का सहारा लिया, तो वे रक्षात्मक बने रहे। ऐसा एक भी मामला नहीं है, जब पुलिस ने सख्त रवैया अपनाया हो।’