चैतन्य भारत न्यूज
मथुरा. देशभर में कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच उत्तरप्रदेश पुलिस का मानवीय चेहरा सामने आया है। देशभर में लॉकडाउन के कारण जब सड़कों पर सन्नाटा था उस समय घर में एक प्रसूता दर्द से तड़प रही थी। अस्पताल पहुंचने में कई मुश्किलें आ रही थी। ऐसी मुश्किल परिस्थिति में दुबई में बैठे महिला के परिजन ने पुलिस से मदद मांगी तो एससपी ने कहा, आप चिंता न करो, मैं हूं। इसके बाद एससपी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए महिला को अस्पताल पहुंचाया।
यह मामला मथुरा से सामने आया है। मथुरा के मूल निवासी नरेंद्र चतुर्वेदी के बेटे गजेंद्र दुबई के मीना बाजार में सीए हैं। उनके साथ ही उनका छोटा भाई शुभम और उसकी पत्नी मोहिनी चतुर्वेदी रहती हैं। गर्भवती होने के कारण दो महीने पहले ही मोहिनी मथुरा वापस आ गई थीं। मोहिनी को 31 मार्च को प्रसव पीड़ा होने लगी। लॉकडाउन होने के कारण सभी रास्ते बंद थे। मोहिनी के ससुर नरेंद्र चिंतित हो गए।
फिर उन्होंने अपने बड़े बेटे गजेंद्र को दुबई फोन लगाया और इस बारे में बताया। इसके बाद गजेंद्र ने मथुरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) डाॅ. गौरव ग्रोवर को फोन किया। गजेंद्र ने एसएससी मोहिनी की डिलीवरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराने का निवेदन किया था। एसएसपी ने फोन पर कहा, ‘परेशान होने की कोई जरूरत नहीं, मैं हूं, जिस समय पुलिस की सहायता की जरूरत हो, बता देना।’
एसएसपी के निर्देशन में मथुरा पुलिस ने शहर के होली गेट पहुंचकर मोहिनी को डिलीवरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया। एसएसपी ने अपने कार्यालय के कर्मचारियों को मोहिनी के ससुर नरेंद्र से लगातार संपर्क रखने को कहा। मोहिनी ने शाम करीब सवा सात बजे एक बेटे को जन्म दिया। इसके बाद मोहिनी के ससुर नरेंद्र ने एसएसपी को फोन कर बधाई दी। एनआईआर गजेंद्र और उसके परिवार ने मथुरा पुलिस की कार्यशैली की प्रशंसा की है। इतना ही नहीं बल्कि गजेंद्र ने खुश होकर प्रधानमंत्री रिलीफ फंड में 31 हजार रुपए की मदद भी की।
एसएसपी गौरव ग्रोवर ने बताया कि, मैं स्वयं पेशे से चिकित्सक रह चुका हूं। पंजाब के स्वास्थ्य विभाग में सरकारी सेवा में रहने के अनुभवों के आधार पर मैं यह अच्छी तरह से जानता हूं कि ऐसे पलों में महिला की हालत कितनी नाजुक होती है, इसलिए गजेंद्र के फोन के बाद जितनी भी जल्दी हो सकता था, मैंने उनके यहां एंबुलैंस भेजकर प्रसूता को अस्पताल भिजवाया।’ उन्होंने आम जनता को यह संदेश भी दिया कि, ‘ये हमारा फर्ज था, समाज में जिसको भी जरूरत है, उसके परिवार के सदस्य के रूप में पुलिस काम कर रही है।’