चैतन्य भारत न्यूज
वाशिंगटन डी.सी. अमेरिका ने हाल ही में धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले देशों की एक ब्लैकलिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में पाकिस्तान का भी नाम शामिल है। अब पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका द्वारा ब्लैकलिस्ट करने के कदम को एकतरफा और मनमाना करार दिया है।
बता दें पाकिस्तान पिछले दो सालों से अमेरिका की ब्लैकलिस्ट में बना हुआ है। इस लिस्ट में पाकिस्तान समेत नौ और देशों का नाम शामिल है। रिपोर्ट में इन देशों में धार्मिक आजादी के व्यवस्थित तौर पर उल्लंघन जारी रखने को लेकर चिंताजनक स्थिति बताई गई है। हालांकि, इस बार अमेरिका की ब्लैक लिस्ट से सूडान का नाम बाहर हो गया है।
अल्पसंख्यकों के साथ हो रहा उत्पीड़न
गौरतलब है कि कई सालों से पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और उत्पीड़न हो रहा है। साल 2018 में अमेरिका ने पाकिस्तान का नाम पहली बार ब्लैकलिस्ट में डाला था। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि, ‘पाकिस्तान का नाम उन देशों की सूची में शामिल है जिन्हें धार्मिक आजादी को लेकर प्रतिबंधित किया जाएगा।’
अमेरिकी प्रतिनिधमंडल चुनिंदा देशों को टारगेट कर रहा
ब्लैकलिस्ट में नाम आने के बाद पाकिस्तान ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि, ‘यह घोषणा ना केवल पाकिस्तान की जमीनी हकीकत से कोसों दूर है बल्कि पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करती है। अमेरिकी प्रतिनिधमंडल चुनिंदा देशों को टारगेट कर रहा है और इससे शायद ही धार्मिक आजादी के मकसद को पूरा करने में मदद मिलेगी।’
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने पेश की सफाई
साथ ही पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने सफाई पेश करते हुए कहा कि, ‘पाकिस्तान धार्मिक विविधताओं का देश है जहां पर हर धर्म के लोग संवैधानिक सुरक्षा के तहत धार्मिक आजादी का आनंद उठा रहे हैं। पाकिस्तान की कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका, हर स्तंभ ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि पाकिस्तान के सभी नागरिकों को उनके धर्म, जाति, रंग के आधार पर भेदभाव किए बिना धार्मिक क्रियाकलापों को करने की पूरी आजादी मिले। देश की न्यायपालिका ने देश के अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए ऐतिहासिक फैसले भी दिए हैं।’
पाकिस्तान को भारत से हुई दिक्कत
इतना ही नहीं बल्कि पाकिस्तान को इस बात से भी दिक्कत हुई है कि अमेरिका ने भारत को अपनी ब्लैकलिस्ट में शामिल नहीं किया। इसे लेकर पाकिस्तान ने कहा कि, ‘अमेरिकी विदेश मंत्रालय का पूर्वाग्रह इसी से दिख जाता है कि जानबूझकर भारत का नाम इस लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है। जबकि अमेरिकी कांग्रेस और 70 अमेरिकी सांसदों ने सार्वजनिक तौर पर कश्मीरियों के मूल अधिकार निलंबित होने को लेकर चिंता जताई थी।’