चैतन्य भारत न्यूज
सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस महीने में शिवभक्त भोले बाबा के प्रति अपना प्रेम और श्रद्धा व्यक्त करने के लिए अलग-अलग कार्य करते हैं। मान्यता है कि, सावन महीने में जो भी भक्त भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का नाम जपता है उसके सातों जन्म तक के पाप नष्ट हो जाते हैं। इन्हीं में से एक है वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग जिसे प्रमुख माना गया है। आइए जानते हैं वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की विशेषता के बारे में।
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का महत्व
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का नौवां स्थान है। यह धाम सभी ज्योतिर्लिंगों से अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस स्थान पर ज्योतिर्लिंग के साथ शक्तिपीठ भी मौजूद है। इस कारण से इस स्थान को ‘ह्रदय पीठ’ या ‘हार्द पीठ’ के नाम से भी जाना जाता है। वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है। इसके अलावा जहां पर मंदिर स्थित है उस स्थान को देवघर यानी देवताओं का घर कहा जाता है। वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा लंकापति रावण से जुड़ी हुई है।
कहा जाता है कि, राक्षसराज रावण ने हिमालय पर जाकर शिवजी को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी। जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने रावण को शिवलिंग के रूप में वरदान दिया और कहा कि, यदि बीच में किसी स्थान पर इस लिंग को जमीन पर रख दिया तो यह वहीं स्थापित हो जाएगा। पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक, रावण शिवलिंग को जमीन पर रखकर लघुशंका के लिए चला गया। रावण जब लौटकर आया तो लाख कोशिश के बाद भी शिवलिंग को उठा नहीं पाया। जिसके बाद भगवान ब्रह्मा, विष्णु आदि देवताओं ने आकर उस शिवलिंग की पूजा की। शिवजी के दर्शन होते ही सभी देवी देवताओं ने शिवलिंग की उसी स्थान पर स्थापना कर दी।
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की विशेषता
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके शीर्ष पर त्रिशूल नहीं, ‘पंचशूल’ है, जिसे सुरक्षा कवच माना गया है। भगवान शिव के मुख्य मंदिर में स्वर्ण कलश के ऊपर लगे पंचशूल सहित यहां के सभी 22 मंदिरों पर लगे पंचशूलों को साल में एक बार शिवरात्रि के दिन नीचे उतार लिया जाता है। सभी को एक निश्चित स्थान पर रखकर विशेष पूजा कर फिर से वहीं स्थापित कर दिया जाता है। मान्यता है कि, कोई अगर छह महीने तक लगातार वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा करता है, तो उसे पुनर्जन्म का कष्ट नहीं उठाना पड़ता। कहा जाता है कि, सुरक्षा कवच के कारण ही इस मंदिर पर आज तक किसी भी प्राकृतिक आपदा का असर नहीं हुआ है।
कहां है और कैसे पहुंचे वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। इस जगह को लोग ‘बाबा बैजनाथ’ धाम के नाम से भी जानते हैं।
हवाई मार्ग : यहां का निकटतम एयरपोर्ट पटना है। यहां से देवघर की दूरी 274 किलोमीटर है और रांची एयरपोर्ट से 255 किमी। दोनों ही जगहों पर आपको बैंगलोर, चेन्नई, दिल्ली, कोलकाता, लखनऊ, हैदराबाद, मुंबई, रांची, भोपाल, अहमदाबाद, गोवा और विशाखापत्तनम जैसे कई शहरों की उड़ानें मिलेंगी।
रेल मार्ग : वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग जाने के लिए मुख्य स्टेशन जसीडीह है, जो की देवघर से 7 किलोमीटर की दूरी पर है। यह दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, वाराणसी और भुवनेश्वर जैसे कई बड़े शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग : सड़क मार्ग के जरिए आप आसानी से देव घर पहुंच सकते हैं। वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग पहुंचने के लिए झारखंड, बिहार और बंगाल की राज्य सड़क परिवहन निगम लिमिटेड की बसें चलती है।
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