चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख माह की अमावस्या इस बार 22 अप्रैल को है। इस दिन स्नान और दान दिया जाता है। इस बार अमावस्या 05 बजकर 39 मिनट से शुरू होगी और शाम 07 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी। वैशाख माह की अमावस्या को पितृ अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन प्रदोष काल में यानी शाम को दीपदान करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है।
वैशाख अमावस्या का महत्त्व
वैशाख माह की अमावस्या पर पितृ पूजा का विशेष महत्व रहता है। पौराणिक कथा के अनुसार इस पर्व पर पिंडदान, श्राद्ध या तर्पण करने से पितरों को तृप्ति मिलती है। वहीं भगवान विष्णु का प्रिय महीना होने से इस तिथि पर दान करने से पाप खत्म हो जाते हैं। वैशाख अमावस्या के दौरान स्नान-दान का अत्यधिक महत्व होता है। लेकिन कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के कारण नदियों में नहाना संभव नहीं है। इसलिए अपने घर में ही वैशाख अमावस्या का पूर्ण फल प्राप्त किया जा सकता है।
पूजा विधि
- प्रातःकाल सूर्योदय के समय उठें।
- दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर अपने नहाने के जल में नर्मदा, गंगा आदि किसी भी पवित्र नदी का जल मिला लें।
- साथ में थोड़े से तिल भी डाल लें।
- इस जल से स्नान करते हुए 7 पवित्र नदियों, गंगा, युमना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु और कावेरी को प्रणाम करें।
- महामारी या विपरित परिस्थितियों के दौरान ऐसा करने से तीर्थ स्नान का फल मिलता है।
- अमावस्या पर उपवास रखने से पितृदोष और गृहदोष दूर हो जाते हैं।
- अमावस्या पर नकारात्मक ऊर्जा को घर से दूर करने के लिए हनुमानजी का जप करना शुभ होता है।
- अमावस्या के दिनशनि देव को तेल अर्पित करना चाहिए।
- इसके अलावा इस दिन काली उड़द और लोहा भी दान करना चाहिए।