चैतन्य भारत न्यूज
इंदौर. देशभर में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण जिसके कारण लोगों में तनाव है। लेकिन इस कठिन समय में घबराने की नहीं, बल्कि सजग और सतर्क रहने की जरुरत है। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते दुनियाभर में हुई मौतों का प्रमुख कारण विटामिन-डी की कमी के रूप में भी सामने आया है। विशेषज्ञों का कहना है कि शरीर में विटामिन-सी के साथ ही विटामिन-डी की स्थिति बेहतर होने से भी हम कोरोना वायरस के खतरे को कम कर सकते हैं।
विटामिन-डी कोरोना से मौत का प्रमुख कारण
एक शोध से पता चला है कि विटामिन डी की दैनिक या साप्ताहिक दवा लोगों को श्वसन संक्रमण से प्रभावी ढंग से लड़ने में मदद कर सकती है। लंदन के डॉ. ब्राउन और डॉ. सरकार ने कई देशों के अस्पतालों में भर्ती मरीजों पर अध्ययन किया। इस अध्ययन में आइसीयू में भर्ती कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों की रिपोर्ट को बारीकी से जांचा गया। इस वायरस के चलते जिन भी लोगों की मौत हुई उनमें से ज्यादातर मरीजों में विटामिन-डी की कमी मौत का प्रमुख कारण मिला।
54%मृतकों में विटामिन डी की कमी
बता दें यह शोध अंतरराष्ट्रीय जर्नल में 24 मार्च को प्रकाशित हो चुका है। शोध के मुताबिक, अमेरिका, यूरोप, ईरान में आइसीयू में भर्ती जितने भी मरीजों की मौत हुई, उनमें से 80 फीसदी मरीज की उम्र 65 वर्ष से अधिक थी। 16 से 54.5 फीसदी मृतकों में विटामिन डी की मात्रा न्यूनतम से भी कम मिली है।
संक्रमण से बचाव में कारगर
बता दें विटामिन-डी की कमी प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रभाव डाल सकती है और हमें संक्रमण के प्रति संवेदनशील बना सकती है। विटामिन डी विशेष रूप से श्वसन प्रणाली जैसे फ्लू, जुकाम और निमोनिया से बचाव करने में कारगर होती है। विटामिन-डी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखता है जिसके कारण आप वायरस और बैक्टीरिया से लड़ सकते हैं। लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के ब्लड ट्रांस फ्यूजन मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ। सुब्रत चंद्रा ने बताया कि, ‘हड्डी-मांस पेशियों में दर्द विटामिन-डी की कमी का लक्षणभर है। विटामिन-डी का शरीर में कई कार्य करता है। यह फेफड़े के कार्य को दुरुस्त रखने में मददगार है, जो कि संक्रमण से भी बचाने में कारगर साबित होता है।
विटामिन-डी की कमी से क्या होता है?
शोध में बताया गया है कि विटामिन-डी की कमी के कारण शरीर में मौजूद सेल्स में मौजूद रिसेप्टर साइक्लिक एएमपी, ऑक्ट 3/4, पी 53 की बांडिंग में कमजोरी आ जाती है। इस कारण वायरस सेल में दाखिल हो जाता है। फिर वायरस फेफड़े तक पहुंचकर पूरे शरीर पर हमला करते हैं। ऐसे में यदि विटामिन-डी शरीर में ठीक है, तो वायरस से मुकाबला आसान हो जाएगा।
देश की 45 फीसद आबादी में विटामिन-डी की कमी
डॉ. सुब्रत चंद्रा ने बताया कि, हमारे शरीर में विटामिन-डी की सामान्य वैल्यू 50-70 नैनो मोल प्रति लीटर निर्धारित की गई है। 50 से कम मात्रा होने पर इसे डिफीसिएंसी माना जाता है। विभिन्न अध्ययन के मुताबिक, हमारे देश में 30 से 45 फीसदी आबादी विटामिन-डी की कमी से जूझ रही है। ऐसे में कोरोना जैसे जानलेवा वायरस से लड़ने के लिए और अपनी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने के लिए हमें विटामिन-डी की कमी को पूरा करना होगा।
सूरज की किरणों के फायदे
सूर्य किरणें जब त्वचा पर लगती है तो विटामिन-डी बनता है, जो मानव शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक है। सुबह के वक्त धूप में बैठने से सूरज की रोशनी से निकलने वाली अल्ट्रा वॉयलेट किरणें (पराबैंगनी किरण) इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) को हाइपर एक्टिव होने से रोकती है और इस तरह से हम सोराइसिस (चर्मरोग) जैसी बीमारियों के खतरे से दूर रहते हैं। इतना ही नहीं ये शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी इजाफा करता है।
विटामिन डी के फायदे
- विटामिन डी हमारे शरीर में सीरम कैल्शियम और फास्फोरस की सही मात्रा को बनाए रखने में मदद करता है।
- विटामिन डी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक है।
- यह हमारे शरीर में संक्रमण की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- विटामिन डी मांसपेशियों, नसों के लिए बहुत ही आवश्यक है।
- यह हृदय रोग और हाई बीपी से भी हमें छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
- यह दिमाग को तेज रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
विटामिन डी की कमी ऐसे करें दूर
- यदि आप नॉन-वेज नहीं खाते तो आप अंडे को डाइट में शामिल कर सकते हैं। उसका पीला भाग जरूर खाएं।
- डेयरी के उत्पाद भी विटामिन-डी की कमी को पूरा करते हैं।
- विटामिन डी की कमी होने पर गाजर खाना भी फायदेमंद होता है। गाजर का जूस पी सकें तो और बेहतर होगा।
- विटामिन-डी की टैबलेट और पाउडर का भी विकल्प है। यह यूनिट के अनुसार डॉक्टर के परामर्श पर लें।