चैतन्य भारत न्यूज
हर साल 19 जून को ‘विश्व सिकल सेल दिवस’ (world sickle cell day) मनाया जाता है। यह दिन सिकल सेल रोग, इसके उपचार के उपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दुनिया भर में इस रोग पर प्रभावी नियंत्रण पाने के लिए मनाया जाता है।
इस दिवस का इतिहास
विश्व सिकल सेल दिवस संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा (United Nations General Assembly) 2008 में स्थापित किया गया था ताकि सिकल सेल रोग और आम जनता में इसके इलाज के बारे में जागरूकता बढ़ सके। 2009 में 19 जून को पहली बार इस दिन को मनाया गया।
क्या है सिकल सेल रोग?
सिकल सेल रोग (sickle cell disease) एक दुर्लभ बीमारी है। यह खून का अनुवांशिक विकार है, जिसमें व्यक्ति का हीमोग्लोबिन प्रारूपिक एस आकार (एचबीएस) में दोषपूर्ण होता है। आमतौर पर हीमोग्लोबिन का आकार ‘ओ’ शेप (एचबीए) का होता है। हीमोग्लोबिन शरीर के विभिन्न हिस्सों तक ऑक्सीजन पहुंचाता है। इस रोग में हीमोग्लोबिन के दोषपूर्ण आकार के कारण लाल रक्त कोशिकाएं एक-दूसरे के साथ जुड़कर क्लस्टर बना लेती हैं और रक्त वाहिकाओं में आसानी से बह नहीं पातीं। इसमें मरीज के शरीर में खून की कमी होने लगती है। सामान्य आरबीसी की उम्र तकरीबन 120 दिन होती है, जबकि ये दोषपूर्ण सेल अधिकतम 10 से 20 दिन तक जीवित रह पाते हैं।
सिकल सेल रोग के लक्षण
यदि बच्चे को तेज बुखार, शरीर में कमजोरी, सिरदर्द, एक या दोनों आंखों में धुंधली दृष्टि या विशेष रूप से लड़कों के प्राइवेट पार्ट में दर्द हो तो आपको तभी डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इसके अलावा पित्ताशय की पथरी, स्प्लेनोमेगाली, इम्युनोडेफिशिएंसी, विशेष रूप से कूल्हे, स्ट्रोक या पक्षाघात, पैर के अल्सर, रेटिनोपैथी, अंत:स्रावी विकार आदि इसके लक्षण होते हैं।
खतरनाक है दर्द का बढ़ना
कभी-कभी दर्द शरीर के बहुत महत्वपूर्ण भागों को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए बच्चे को सीने में दर्द होता है, तो यह हो सकता है कि छाती के अंगों में से एक में बाधा हो। घर पर किसी भी तरह की देरी होने से सांस लेने में मुश्किल और मौत हो सकती है।
भारत में सिकल सेल रोग का खतरा
रिपोर्ट्स केे मुताबिक, इस रोग के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है। हालांकि, यह रोग बहुत पुराने समय से ज्ञात है, लेकिन इस पर अधिक काम नहीं किया गया है। यह अफ्रीकी, अरबी और भारतीय आबादी में अधिक पाया जाता है। हमारे देश में यह ‘सिकल सेल बेल्ट’ में अधिक पाया जाता है, जिसमें मध्यम भारत का डक्कन पठार, उत्तरी केरल और तमिलनाडू शामिल है। यह छत्तीसगढ़, बिहार, महाराष्ट्र तथा मध्य प्रदेश के पड़ोसी इलाकों में भी पाया जाता है।